October 10, 2008

A Non-Song

written around this time last year for a colleague who wanted me to write song lyrics for him. Goes to show I dunno how to write song lyrics.

पाँव थके तो हैं पर दीवाने भी तो हैं
जहाँ नहीं हैं रस्ते वहां बनाने ही तो हैं
उस धुंधली सुबह से जो वादे किए थे
चाँद डूबने से पहले निभाने भी तो हैं

तो चल के यह हसीं मंज़र तेरी मंज़िल नहीं
इस मोड़ तक आके जो रुक जाए वोह तेरा दिल नहीं
कुछ दूर अभी है अंजाम तेरे इस सफर का
ओ बाँवरे भंवर यह तेरा साहिल नहीं …

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